Things could have been different. But for him, it’s a dream come true. He still remembers that night filled with moonlight.
आज रात जैसी ही चाँदनी थी
आज रात जैसी ही चाँदनी थीजब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था ।
तुम्हारे काले बालो में गिरती हुई चांदनी
जैसे मानो सोन नदी की धारो में गिरती हुई सूरज की रौशनी ।।
शायद तुम्हे याद न हो
पर तुम्हारा वह आंखें मूंद कर चाँद की और देखते हुए मुस्कुराना
लगा जैसे तुमने अपने ख्याल में मुझे ही मांग लिया हो ।।
दो पल ही तो हुए थे तुम्हे देखे हुए कि किसी ने तुम्हे घर से आवाज़ दी … अंशुमा
पहली बार चाँद और सूरज की रौशनी को देखा था किसी पहली रात में
एक साथ ।
उन छोटे से दो लम्हों में ।।
आज भी वैसी ही रात है
और फर्क इतना है की तुम दूर नहीं ।
मेरे पास खड़ी हो ।।
आज रात जैसी ही चाँदनी थी …उस दिन ।।
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