Hey guys,

I stumbled upon this little poem in my repository that I wrote a while ago, and I thought I’d share it here. I remember trying to write this poem for quite some time. I started it back in 2019, but only finished it in 2022. Hopefully, I was able to maintain the tone and flow throughout those three years. I hope you guys will enjoy it!

मैं अपने संग्रह में एक छोटी सी कविता, जिसे मैंने कुछ समय पहले लिखा था, मैंने सोचा कि इसे यहां साझा कर दूं। मुझे याद है कि मैं इस कविता को लिखने की कोशिश कर रहा था। मैंने इसकी शुरुआत 2019 में की थी, लेकिन इसे केवल 2022 में पूरा किया। आशा है कि मैं इन तीन वर्षों के दौरान इसका स्वर और प्रवाह बनाए रखने में सफल रहा। मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगी!

ख़ामोश लम्हों का सफ़र

रातें अजनबी सी लगती हैं अब,
जबसे दिल ने एक ख़्वाब बुनना शुरू किया है।
तुम्हें देखा नहीं है, पर हर रोज़ एक चेहरा बनाता हूँ,
शायद एक दिन तुम वही चेहरा लेकर मेरे सामने आ जाओ।
 
कुछ अनकहे से लफ्ज़… जैसे किसी हवा में बिखर गए हों,
फिर भी लगता है जैसे हर सुबह तुम्हारी मुस्कान लेकर आती है।
 
कई बातें हैं जो कहनी हैं,
पर हर शब्द जैसे इंतजार में खो जाता है।
हर शाम, एक नया ख्याल दिल में आता है,
शायद ये ही मोहब्बत है, जो बिना कहे बढ़ती जाती है।
 
एक सफ़र है, जो तुम्हारे बिना भी तय हो रहा है,
पर मंज़िल बस तुम्हारे साथ ही दिखती है।
 
अब सिर्फ यही उम्मीद है,
कभी न कभी वो दिन आएगा,
जब तुम इस सफ़र में साथ चलोगी,
और ये ख़ामोश लम्हें भी बोल पड़ेंगे।।

नितेश आप्टे
१२ फ़रवरी २०२२

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